रविवार, 14 दिसंबर 2014

वात्सल्य रस (Hindi Poetry - Vatsalya Ras)

बड़ों का छोटों के प्रति स्नेह से वात्सल्य रस (Vatsalya Ras) की उत्पत्ति होती है।
  • स्थायीभाव - वात्सल्य (स्नेह)
  • आलम्बन विभाव - पुत्र-पुत्री, शिशु, कनिष्ठ जन आदि
  • उद्दीपन विभाव - शिशु की तोतली बोली, रूप, क्रीड़ाएँ आदि
  • अनुभाव - प्यार-दुलार, चुम्बन, छाती से लगाना आदि
  • संचारी भाव - गर्व, हर्ष, शंका, आवेग आदि
उदाहरण -

मैया, कबहिं बढ़ैगी चोटी।
किती बार मोहि दूध पियत भै, यह अजहूँ है छोटी।
तू जो कहति बल की बेनी ह्वै हैं लाँबी-मोटी।
काढ़त गुहत न्हवावत ओछत नागिन सी भ्वैं लोटी।
पचि पचि दूध पियावत मोको देत न माखन रोटी।
'सूर' श्याम चिरजीवौ दोउ हरि हलधर की जोटी॥

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