सोमवार, 15 दिसंबर 2014

रोला और कुण्डलिया (Hindi Poetry - Rola and Kundalia)

रोला (Hindi Poetry - Rola)

रोला (Rola) चौबीस मात्राओं वाला छन्द है। ग्यारह और तेरह मात्राओं पर यति होती है।

उदाहरण -

शशि बिन सूनी रैन, ज्ञान बिन हिरदय सूनो।
घर सूनो बिन पुत्र, पत्र बिन तरुवर सूनो।
गज सूनो इक दन्त, और वन पुहुप विहूनो।
द्विज सूनो बिन वेद, ललित बिन सायर सूनो॥

कुण्डलिया (Hindi Poetry - Kundalia)

कुण्डलिया (Kundalia) छः चरणों का छन्द होता है जो एक दोहा और दो रोला को मिलाकर बनता है। दोहे का चौथा चरण पहले रोले का पहला चरण होता है। जिस शब्द से कुण्डलिया (Kundalia) शुरू होता है, उसी शब्द से ही समाप्त भी होता है।

उदाहरण -

गुनके गाहक सहस नर बिन गुन लहै न कोय।
जैसे कागा-कोकिला शब्द सुनै सब कोय।
शब्द सुनै सब कोय कोकिला सबै सुहावन।
दोऊ को इक रंग काग सब गनै अपावन॥
कह गिरधर कविराय सुनो हो ठाकुर मन के।
बिन गुन लहै न कोय सहस नर गाहक गुनके॥

1 टिप्पणी:

  1. प्रणाम सर, निम्न पंक्तियों के रचनाकार कौन हैं, कृपया बताने का कष्ट करें।
    धन्यवाद।
    राधे तू बड़भागिनी कौन तपस्या कीन्ह, तीन लोक तारन तरण सो तेरे आधीन।

    जवाब देंहटाएं