रविवार, 14 दिसंबर 2014

सोरठा (Hindi Poetry - Sortha)

सोरठा (Sortha) एक मात्रिक छन्द है। यह एक अर्द्ध सम छन्द है। यह दोहे से ठीक उल्टा होता है क्योंकि इसके पहले तथा तीसरे चरणों में ग्यारह-ग्यारह मात्राएँ एवं दूसरे तथा चौथे चरणों में तेरह-तेरह मात्राएँ होती हैं। पहले तथा तीसरे चरणों के अन्त में तुकान्त तथा गुरु लघु होना अनिवार्य होता है।

उदाहरण -

सुनि केवट के बैन, प्रेम लपेटे अटपटे।
विहँसे करुनाऐन, चितै जानकी लखन तन॥

9 टिप्‍पणियां:

  1. How will we read the given sortha. Is its second half read first and first part after that,so that it rhymes . Please answer this question bcos I want to know the proper way to read Ramcharitmanas

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  2. How will we read the given sortha. Is its second half read first and first part after that,so that it rhymes . Please answer this question bcos I want to know the proper way to read Ramcharitmanas

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  3. It will be read as:
    प्रेम लपेटे अटपटे।सुनि केवट के बैन
    चितै जानकी लखन तन॥विहँसे करुनाऐन

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  4. पर यह उल्टा क्यों पढ़ा जाता है??

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  5. रामचरितमानस का पाठ करते समय सोरठा को कैसे पढना चाहिए कृपया सही तरीका बताऐं ा सीधा या उल्‍टा कृपया सही तरीका बताकर अनुगृहीत करें

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