रविवार, 14 दिसंबर 2014

शान्त रस (Hindi Poetry - Shant Ras)

संसार की असारता के कारण उत्पन्न हुए वैराग्य से शान्त रस (Shant Ras) की उत्पत्ति होती है।
  • स्थायीभाव - निर्वेद (वैराग्य)
  • आलम्बन विभाव - ईश्वर चिन्तन, विश्व कल्याण आदि
  • उद्दीपन विभाव - सत्संग, शास्त्र श्रवण, तीर्थाटन आदि
  • अनुभाव - पश्चाताप, सांसारिक दुःखों से कातर होन, पुलक आदि
  • संचारी भाव - ग्लानि, उद्वेग, जड़ता, दैन्य, वैराग्य आदि
उदाहरण -

अब लौं नसानी, अब न नसैहौं।
रामकृपा भवनिसा सिरानी जागे पुनि न डसैहौं॥
पायो नाम चारु चिन्तामनि उर कर तें न खसैहौं।
स्याम रूप सुचि रुचिर कसौटी चित कंचनहिं कसैहौं॥

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