- स्थायीभाव - निर्वेद (वैराग्य)
- आलम्बन विभाव - ईश्वर चिन्तन, विश्व कल्याण आदि
- उद्दीपन विभाव - सत्संग, शास्त्र श्रवण, तीर्थाटन आदि
- अनुभाव - पश्चाताप, सांसारिक दुःखों से कातर होन, पुलक आदि
- संचारी भाव - ग्लानि, उद्वेग, जड़ता, दैन्य, वैराग्य आदि
अब लौं नसानी, अब न नसैहौं।
रामकृपा भवनिसा सिरानी जागे पुनि न डसैहौं॥
पायो नाम चारु चिन्तामनि उर कर तें न खसैहौं।
स्याम रूप सुचि रुचिर कसौटी चित कंचनहिं कसैहौं॥
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