रविवार, 14 दिसंबर 2014

करुण रस (Hindi Poetry - Karun Ras)


बन्धु, स्वजन मित्र आदि का वियोग या विनाश, द्रव्यनाश, अनिष्ट आदि करुण रस (Karun Ras) रस को जन्म देते हैं।
  • स्थायीभाव - शोक (दुःख)
  • आलम्बन विभाव - विनष्ट बन्धु, स्वजन मित्र आदि
  • उद्दीपन विभाव - प्रियजनों का दाहकर्म, उनके कार्यों तथा वस्त्रादि का स्मरण आदि।
  • संचारी भाव - मोह, निर्वेद, व्याधि, ग्लानि, भ्रम, जड़ता आदि।
उदाहरण -

हा धर्मवीर! आर्य भीम हरे हरे।
हा प्रिय नकुल सहदेव भ्राता उत्तरे हा उत्तरे।
हा देविकृष्णे! हा सुभद्रे! यह अधम अर्जुन चला।
धिक् है क्षमा करना मुझे मुझसे हुआ रिप का भला॥

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