बन्धु, स्वजन मित्र आदि का वियोग या विनाश, द्रव्यनाश, अनिष्ट आदि करुण रस (Karun Ras) रस को जन्म देते हैं।
- स्थायीभाव - शोक (दुःख)
- आलम्बन विभाव - विनष्ट बन्धु, स्वजन मित्र आदि
- उद्दीपन विभाव - प्रियजनों का दाहकर्म, उनके कार्यों तथा वस्त्रादि का स्मरण आदि।
- संचारी भाव - मोह, निर्वेद, व्याधि, ग्लानि, भ्रम, जड़ता आदि।
हा धर्मवीर! आर्य भीम हरे हरे।
हा प्रिय नकुल सहदेव भ्राता उत्तरे हा उत्तरे।
हा देविकृष्णे! हा सुभद्रे! यह अधम अर्जुन चला।
धिक् है क्षमा करना मुझे मुझसे हुआ रिप का भला॥
Sir plz he khag mrig he madhukar sreni ka spastikaran bataiye
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