रविवार, 14 दिसंबर 2014

छन्द (Hindi Poetry - Chhand)

वर्ण, मात्रा, गति, यति, लय और चरणान्त सम्बन्धी नियमों से युक्त रचना को छन्द कहते हैं।
  • वर्ण - वर्ण (अक्षर) दो प्रकार के होते हैं - दीर्घ अथवा गुरु और ह्रस्व अथवा लघु। गुरु को "ऽ" तथा लघु को "।" चिह्नों से प्रदर्शित किया जाता है।
  • मात्रा - अ, इ, उ, ऋ की मात्रा को एक और आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, अं तथा अः की मात्रा को दो मात्रा मानी जाती है। जैसे "राम" में प्रथम वर्ण "रा" गुरु अर्थात दो मात्रा वाली है और द्वितीय वर्ण "म" लघु अर्थात एक मात्रा वाली है अतः "राम" शब्द में कुल तीन मात्राएँ हुईं। संयुक्ताक्षर में प्रथम वर्ण की दो मात्राएँ मानी जाती हैं जैसे "मुक्त" में प्रथम अक्षर के लघु होते हुए भी उसे गुरु माना जावेगा।
  • लय - चरणों का के अन्तिम व्यञ्जन और मात्रा की समानता को लय या तुक कहा जाता है जैसे - "मांगी नाव न केवट आना। कहहिं तुम्हार मरमु मैं जाना॥" में "आना" और "जाना"।
  • गति - छन्दों की मात्राओं अथवा वर्णों में जो प्रवाह होता है उसे गति कहते हैं।
  • यति - छंदों को गाते समय बीच में जो हल्का सा रुकाव होता है उसे यति कहा जाता है।
  • गण - तीन मात्राओं के समूह को गण कहा जाता है। गण आठ प्रकार के होते हैं -
गण का नामलक्षणचिह्नउदाहरण
यगणप्रथम वर्ण लघु, शेष गुरु।ऽऽदिखावा
मगणतीनों वर्ण गरुऽऽऽपाषाणी
तगणप्रथम दो गुरु अंतिम लघुऽऽ।तालाब
रगणप्रथम और अन्तिम गुरु बीच का लघुऽ।ऽसाधना
जगणप्रथम और अन्तिम लघु बीच का गुरु।ऽ।पहाड़
भगणप्रथम गुरु शेष लघुऽ।।भारत
नगणतीनों वर्ण लघु।।।सरल
सगणप्रथम दो लघु अन्तिम गुरु।।ऽमहिमा

गणो के नामों और लक्षणों को याद रखने के लिए सूत्र है - यमाताराजभानसलगा

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