- वर्ण - वर्ण (अक्षर) दो प्रकार के होते हैं - दीर्घ अथवा गुरु और ह्रस्व अथवा लघु। गुरु को "ऽ" तथा लघु को "।" चिह्नों से प्रदर्शित किया जाता है।
- मात्रा - अ, इ, उ, ऋ की मात्रा को एक और आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, अं तथा अः की मात्रा को दो मात्रा मानी जाती है। जैसे "राम" में प्रथम वर्ण "रा" गुरु अर्थात दो मात्रा वाली है और द्वितीय वर्ण "म" लघु अर्थात एक मात्रा वाली है अतः "राम" शब्द में कुल तीन मात्राएँ हुईं। संयुक्ताक्षर में प्रथम वर्ण की दो मात्राएँ मानी जाती हैं जैसे "मुक्त" में प्रथम अक्षर के लघु होते हुए भी उसे गुरु माना जावेगा।
- लय - चरणों का के अन्तिम व्यञ्जन और मात्रा की समानता को लय या तुक कहा जाता है जैसे - "मांगी नाव न केवट आना। कहहिं तुम्हार मरमु मैं जाना॥" में "आना" और "जाना"।
- गति - छन्दों की मात्राओं अथवा वर्णों में जो प्रवाह होता है उसे गति कहते हैं।
- यति - छंदों को गाते समय बीच में जो हल्का सा रुकाव होता है उसे यति कहा जाता है।
- गण - तीन मात्राओं के समूह को गण कहा जाता है। गण आठ प्रकार के होते हैं -
गण का नाम | लक्षण | चिह्न | उदाहरण |
यगण | प्रथम वर्ण लघु, शेष गुरु | ।ऽऽ | दिखावा |
मगण | तीनों वर्ण गरु | ऽऽऽ | पाषाणी |
तगण | प्रथम दो गुरु अंतिम लघु | ऽऽ। | तालाब |
रगण | प्रथम और अन्तिम गुरु बीच का लघु | ऽ।ऽ | साधना |
जगण | प्रथम और अन्तिम लघु बीच का गुरु | ।ऽ। | पहाड़ |
भगण | प्रथम गुरु शेष लघु | ऽ।। | भारत |
नगण | तीनों वर्ण लघु | ।।। | सरल |
सगण | प्रथम दो लघु अन्तिम गुरु | ।।ऽ | महिमा |
गणो के नामों और लक्षणों को याद रखने के लिए सूत्र है - यमाताराजभानसलगा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें