- स्थायीभाव - भय
- आलम्बन विभाव - निर्जन स्थान, हिंसक जन्तु, अंधकार, वन, चोर-डाकू आदि
- उद्दीपन विभाव - हिंसक जीवों की ध्वनि और चेष्टाएँ, भयंकर दृश्य, निर्जन स्थान आदि
- अनुभाव - रोना, चिल्लाना, मूर्च्छा, कम्प, स्वेद, रोमांच, पलायन आदि
- संचारी भाव - भ्रम, ग्लानि, शंका, त्रास, दैन्य, मरण आदि
एक ओर अजगरहिं लखि, एक ओर मृगराइ।
बिकल बटोही बीच ही, पर्यौ मूर्च्छा खाइ॥
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