रविवार, 14 दिसंबर 2014

रौद्र रस (Hindi Poetry - Roudra Ras)


निन्दा, हानि, विरोध आदि के द्वारा प्रतिशोध की भावना उत्पन्न होने से रौद्र रस की उत्पत्ति होती है।
  • स्थायीभाव - क्रोध
  • आलम्बन विभाव - शत्रु
  • उद्दीपन विभाव - शत्रु की अशिष्ट चेष्टाएँ
  • अनुभाव - नेत्रों का लाल होना, दाँत पीसना,  नथुनों का फड़कना, भौहों का टेढ़ा होना, गर्जन-तर्जन, शस्त्रादि उठा लेना
  • संचारी भाव - आवेश, उग्रता, अमर्ष, चपलता, स्मृति, मोह, मद आदि
उदाहरण -

बोरौ सवै रघुवंश कुठार की धार में बारन बाजि सरत्थहि।
बान की वायु उड़ाइ कै लच्छन लक्ष्य करौ अरि हा समरत्थहिं।
रामहिं बाम समेत पठै बन कोप के भार में भूजौ भरत्थहिं।
जो धनु हाथ धरै रघुनाथ तो आजु अनाथ करौ दसरत्थहि॥

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