रविवार, 14 दिसंबर 2014

अद्भुत रस (Hindi Poetry - Adbhut Ras)

आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर या उनका वर्णन पढ़-सुन कर विस्मय के भाव उत्पन्न होने से अद्भुत रस (Adbhut Ras) की उत्पत्ति होती है।
  • स्थायीभाव - विस्मय (आश्चर्य)
  • आलम्बन विभाव - रक्त, मांस, पीब, फूहड़पन आदि घृणित वस्तुएँ
  • उद्दीपन विभाव - अलौकिक या लोकोत्तर वर्णन सुनना या देखना आदि
  • अनुभाव - स्वर भंग, स्वेद, रोमांच, उत्फुल्लता, आश्चर्यचकित होन आदि
  • संचारी भाव - हर्ष, आवेग, जड़ता, भ्रान्ति, चिन्ता, तर्क आदि
उदाहरण -

लीन्हों उखारि पहार विशाल, चल्यौ तेहि काल विलम्ब न लायौ।
मारुत-नन्दन मारुत को, मन को खगराज को वेग लजायौ।
तीखो तुरा तुलसी कहतो पै हिए उपमा को समाऊ न आयौ।
मानो प्रतक्ष परव्वत को नभ लीक लसी कपि यों धुकि धायौ॥

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