- स्थायीभाव - विस्मय (आश्चर्य)
- आलम्बन विभाव - रक्त, मांस, पीब, फूहड़पन आदि घृणित वस्तुएँ
- उद्दीपन विभाव - अलौकिक या लोकोत्तर वर्णन सुनना या देखना आदि
- अनुभाव - स्वर भंग, स्वेद, रोमांच, उत्फुल्लता, आश्चर्यचकित होन आदि
- संचारी भाव - हर्ष, आवेग, जड़ता, भ्रान्ति, चिन्ता, तर्क आदि
लीन्हों उखारि पहार विशाल, चल्यौ तेहि काल विलम्ब न लायौ।
मारुत-नन्दन मारुत को, मन को खगराज को वेग लजायौ।
तीखो तुरा तुलसी कहतो पै हिए उपमा को समाऊ न आयौ।
मानो प्रतक्ष परव्वत को नभ लीक लसी कपि यों धुकि धायौ॥
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